Halloween Costume ideas 2015
Articles by "Entertainment"

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली: महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) अब अपने 17वें वर्ष में है, भारतीय थिएटर में सर्वश्रेष्ठ रंगमंच को जारी रखे हुए है और नाटकों की उत्कृष्टता के लिए मानक स्थापित कर चूका है। मेटा फेस्टिवल भारत में सभी क्षेत्रों, राज्यों और बोलियों में रंगमंच के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनाने के उद्देश्य से महिंद्रा समूह द्वारा स्थापित है, मेटा नाटक लेखन, सेट, कॉस्टयूम,लाइट डिजाइन, निर्देशन और प्रदर्शन सहित मंच के सभी पहलुओं को सामने लाता है और सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार प्रदान करता है। पिछले दो वर्षों में, जैसा कि दुनिया एक महामारी से जूझ रही थी, मगर मेटा फेस्टिवल इस समय भी चलता रहा था। थिएटर-प्रेमियों के लिए ऑनलाइन की गई थी और यह शानदार प्रस्तुतियों के साथ मेटा स्टेज वर्चुअल हुआ था। मगर अब समय आ गया है जब रंगमंच प्रेमी 2022 में मेटा का 17वां संस्करण का आनंद सभागार में लें सकें। मेटा 2020 के 4 पुरस्कार विजेता नाटकों का मंचन दिल्ली में होगा जो मेटा के 15वे संस्करण के विजेता नाटक हैं।
17वां मेटा फेस्टिवल 7 जुलाई से 10 जुलाई 2022 तक आयोजित होने वाला है। चार पुरस्कार विजेता नाटकों का मंचन दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में किया जाएगा। जय शाह, वाइस प्रेसिडेंट, हेड- कल्चरल आउटरीच, महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड ने कहा, “हालांकि मेटा 2020 के लिए समय पर निर्णय लेने की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, हमने वर्चुअल समारोह के माध्यम से विजेताओं को पुरस्कार दिया था। हमें इस साल मेटा 2020 के 4 पुरस्कार विजेता नाटकों की प्रस्तुति के माध्यम से अंत में एक ऑन-ग्राउंड मेटा प्राप्त करने की खुशी है। हमें उम्मीद है कि हम 2023 में एक फिर मेटा फेस्टिवल को करने में सक्षम होंगे। ”
टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय रॉय ने कहा, "मेटा 2020 और 2021 में ऑनलाइन किया गया और ऑनलाइन भी एक नए रंगमंच दुनिया का निर्माण किया, यहां तक कि हमने थिएटर और कला के कई विषयों के बारे में भी परिचर्चा की ,कई पुरस्कार विजेता प्रस्तुतियों को स्ट्रीम किया गया। 2022 में, हम 2020 मेटा फेस्टिवल से पुरस्कार विजेता प्रस्तुतियों के साथ ऑन-ग्राउंड हैं। आप अगर दिल्ली में रहते हैं तो 2020 के सर्वश्रेष्ठ नाटकों आनंद ले सकते हैं!” कई वर्षों में, मेटा ने अपने नाटकों के माध्यम से समकालीन और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों, पौराणिक कथाओं, धर्म, लिंग, जाति, राजनीति और क्लासिक्स से लेकर विविध विषयों को आवाज दी है। देश की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों और थिएटर-व्यवसायियों को पहचानने और पुरस्कृत करने का एकमात्र राष्ट्रीय क्षेत्र - मेटा - का उद्देश्य भारतीय रंगमंच के प्रति जागरूकता और प्रशंसा बढ़ाना है। मेटा 2022 में प्रदर्शित किए जाने वाले चार पुरस्कार विजेता नाटकों का विवरण निम्नलिखित है।
नाटकों के बारे में फॉर द रिकार्ड 1971 में, एक ट्रिब्यूनल को तीन कलाकृतियों का चयन करने का काम सौंपा गया था जो दुनिया में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। | निखिल मेहता द्वारा निर्देशित फोर द रेकौर्ड में विचार-विमर्श, विवादों और 1971 की घटना के नाटक को दिखाया गया है, जब एक ट्रिब्यूनल को तीन कलाकृतियों का चयन करने का काम सौंपा गया था, जो भारत का दुनिया में प्रतिनिधित्व करते थे। रेकौर्ड प्रतिनिधित्व और भारतीयता के विचारों पर सवाल उठाता है। इसमें अंग्रेजी के साथ हिंदी संवाद भी हैं।

गुरुवार, 7 जुलाई 2022 | शाम 7 बजे भास्करा पत्तेलार्रुम तोम्मियुडे जीविथावम केरल से मलयालम नाटक ‘भास्करा पत्तेलार्रुम तोम्मियुडे जीविथावम’ इसी शीर्षक के उपन्यास पर आधारित है, जो प्रसिद्ध मलयालम लेखक पॉल जकारिया ने लिखा है। नाटक अत्याचार, सामाजिक संघर्ष, प्रेम और स्वतंत्रता से संबंधित है। भास्करा पत्तेलार्रुम तोम्मियुडे जीविथावम’ । केरल का एक ईसाई प्रवासी मजदूर थॉमी अपने आक्रामक, अत्याचारी जमींदार, भास्कर पट्टालर का आज्ञाकारी दास है। पट्टालर अत्याचारी व्यक्ति है और थॉमी उसके सभी बुरे कामों में असहाय रूप से उसका समर्थन करता है। थॉमी ने पट्टालर के सभी आदेशों का पालन किया, अपनी पत्नी को अपने मालिक को यौन रूप से उपलब्ध कराने से लेकर पट्टालर की दयालु पत्नी सरोजा को मारने तक कुकर्म करता है। जब पट्टालर अपने ही कुकर्मों के कारण जंगल में भागने के लिए मजबूर हो जाता है, तो थॉमी एक पालतू जानवर की तरह उसका पीछा करता है। जैसे-जैसे नाटक आगे बढ़ता है, पट्टालर धीरे-धीरे अपने अत्याचारी गुणों को छोड़ता है और अपने दुश्मनों द्वारा मारा जाता है। यद्यपि उसके गुरु की मृत्यु थॉमी के लिए एक बड़ा आघात होना चाहिए था, लेकिन जैसे ही नाटक समाप्ति की ओर होता है वह गुलामी से मुक्त हो जाता है।

 शुक्रवार, 8 जुलाई, 2022 | शाम 7 बजे द ओल्ड मैन साहिदुल हक द्वारा निर्देशित ‘द ओल्ड मैन’ विश्व क्लासिक अर्नेस्ट हेमिंग्वे के "द ओल्ड मैन एंड द सी" का रूपान्तर है। द ओल्ड मैन मानव और प्रकृति के बीच संघर्ष को सामने लाता है यह अकेलेपन, निराशा और आशावाद से संबंधित है.नाटक की शुरुआत दर्शकों के साथ नायक वोडाई से होती है, जो बिना मछली पकड़े 84 दिन बिता चुके हैं, और यह उसके भाग्य का सबसे खराब समय माना जा रहा है। यहां तक कि उनके युवा प्रशिक्षु रोंगमोन को भी उनसे दूर रहने की सलाह दी जाती है। लेकिन रोंगमोन हर शाम भोजन और अपने अतीत की कहानियों के साथ वोडाई के साथ जाता है। दृश्य अगले दिन में बदल जाता है जब वोडाई फिर से नदी में उतरता है और एक बड़ी मछली के साथ एक जबरदस्त संघर्ष करता है जो उसका चारा लेती है। जब वोडाई मछली को घर लाता है, तो रास्ते में केकड़े और झींगे उसे खा जाते हैं। वोडाई एक गहरी नींद में सो जाता है और जब वह अगली सुबह उठता है, तो वह उम्मीद की लहर में रोंगमोन से वादा करता है कि वे एक बार फिर एक साथ मछली पकड़ेंगे।

शनिवार, 9 जुलाई, 2022 | शाम 7 बजे ‘घुम नेइ’ का निर्देशन सौरभ पालोधी द्वारा किया गया, जो समाज के कार्य क्षेत्र का एक घोषणापत्र है। इसकी कहानी अंधेरे टूटे हुए समाज को राजमार्ग के माध्यम से प्रकाश के पुल की ओर ले जाना है, घूम नेइ घूम नेई समाज के सबसे निचले तबके के श्रमिकों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनका जीवन स्तर खराब है, जो तानाशाही के तहत संघर्ष कर रहे हैं। समाज में लाभ और हानि से सबसे अधिक प्रभावित लोग हैं, यह नाटक का केंद्र बिंदु है। नाटक में कई समानांतर कहानियां हैं - ट्रक ड्राइवरों की कहानी और उनके अस्तित्व के संकट; एक ढाबे और उसके मालिक की कहानी; एक बेरोजगार व्यक्ति की कहानी और मुख्यधारा में प्रवेश करने के उसके संघर्ष की कहानी; 

एक पागल व्यक्ति की कहानी और  उसके अकेलेपन की भावना; एक वरिष्ठ व्यक्ति की कहानी जिसके लिए इन अन्य कहानियों का कोई अर्थ नहीं है; दो पत्रकारों की कहानी और एक नई कहानी के लिए उनकी निरंतर खोज। समाज के सबसे निचले कामकाजी वर्ग का एक घोषणापत्र, साजिश एक टूटे हुए राजमार्ग के माध्यम से यात्रा करती है, आशा और सौहार्द से प्रकाशित प्रकाश के पुल तक पहुंचने का प्रयास करती है।

० संत कुमार गोस्वामी ० 

बिहार छपरा-देसी लोटा एंटरटेनमेंट और आर वी एस प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही फिल्म 'कलयुग के राम' की शूटिंग इस समय सिवान जिले के सोन्धानी एवं सारण जिले के मशरख प्रखंड के विभिन्न गांवो में चल रही हैं ।इस फिल्म के निर्माता रामविनय सिंह और राकेश तिवारी है। निर्देशन सुजीत वर्मा का हैं जिन्होंने सुपरहिट फिल्म बिटिया छठी माई के , लाडो , जैसी फिल्म का निर्देशन कर चुके हैं ।
ये फिल्म एक रिक्शा वाले के परिवार और पति पत्नी के बीच के संबंधों को बयां करती हैं । फिल्म गरीब और गरीबी के ताने बाने के बीच मानवीय संवेदनाओं को बेहतर उजागर करती हैं । फिल्म के निर्माता ने बताया की ये फिल्म लीक से हटकर हैं और फिल्म की पटकथा पर काफी मेहनत टीम के द्वारा किया गया हैं । बहरौली पंचायत के मुखिया अजीत सिंह का शूटिंग मे काफी सहयोग मिल रहा हैं और इस फिल्म की शूटिंग इन्ही के सौजन्य और कृष्णमोहन के द्वारा कराई जा रही हैं  फिल्म की शूटिंग बहरौली , सोंधानी , मशरख , दुमदुमा शिव मंदिर एवं गांव मे इसकी शूटिंग जारी हैं । 

फिल्म की शूटिंग अन्य लोकेशन जैसे मिर्जापुर सोनभद्र मे भी की जाएगी । देसी लोटा के राकेश तिवारी ने बताया की अभी हमारी कंपनी फिल्म निर्माण में एक से बढ़कर एक अच्छे विषय पर पटकथा तैयार कर रही हैं और बिहार , उत्तरप्रदेश मे जल्दी ही अन्य फिल्म की शुरआत होगी ।। कलयुग के राम फिल्म में क्रिएटिव कंट्रोल जाने माने क्रिएटिव निर्देशक राजीव मिश्रा का हैं और इसकी पटकथा शशि रंजन ने तैयार की हैं ।। फिल्म का संगीत साजन मिश्रा का हैं और डी ओ पी हैं इमरान एफ खान ।।

फिल्म के मुख्य कलाकार , किरण यादव , श्यामली श्रीवास्तव, चंदन सिंह राजपूत , देव सिंह , बुल्लू कुमार ( पंचायत फेम , सतीश वर्मा उर्फ आर जे चोखा , दीपक सिह हैं ।जल्द ही फिल्म दर्शकों के बीच में होगी ।।
आजकल भोजपुरी सिनेमा मे कॉन्टेंट प्रधान फिल्म लोगो को पसंद आ रही हैं और इसी कड़ी मे ये फिल्म एक मील का पत्थर साबित होगी ।



० संवाददाता द्वारा ० 

कोलकाता : जे.डी. बिरला इंस्टिट्यूट ( डिपार्टमेंट ऑफ़ मैनेजमेंट ) के नेचर क्लब ने  मैनेजमेंट कैंपस में 'बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट' पर एक इंट्रा कॉलेज प्रतियोगिता की मेजबानी की, जिसका उद्देश्य रीसाइक्लिंग की उपयोगिता के बारे में युवाओं में जागरूकता पैदा करना एवं उनमें रचनात्मकता को बढ़ावा देना और उनके उद्यमशीलता कौशल को भी प्रोत्साहित करना था I भाग लेने वाली टीमों ने आयोजकों द्वारा प्रदान की गई अपशिष्ट सामग्री से पुनःनिर्मित उत्पाद बनाए, उत्पाद के लिए विपणन योजना तैयार की और जूरी के एक पैनल के समक्ष योजना प्रस्तुत की।
इस प्रतियोगिता को  राहुल लोढ़ा (एनवायर्नमेंटल एक्टिविस्ट, इन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, आई आई टी अलमुनस), सुश्री कविता अग्रवाल (उद्यमी, टेडएक्स की सदस्य, प्रेसिडेंट राष्ट्रीय बाल देखभाल परिषद, महिला भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल) और प्रो अमिता दत्ता (सहायक प्रोफेसर, जेडीबीआई) ने जज किया। टीमों का मूल्यांकन नवाचार और रचनात्मकता, सौंदर्यशास्त्र, मूल्य निर्धारण और विपणन प्रस्तुति जैसे मानदंडों पर किया गया।


० योगेश भट्ट ०                                                                                 

नई दिल्ली । वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ 2022 के लिए चुन लिया गया है। हिन्दी की यह पहली किताब है जिसने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित यह पुरस्कार हासिल किया है। ‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी में डेजी रॉकवेल द्वारा किए गए अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस घोषणा पर ‘रेत-समाधि’ की लेखक गीतांजलि श्री, अनुवादक डेजी रॉकवेल और इसको हिंदी में प्रकाशित करनेवाले राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने खुशी जताई है।
‘रेत-समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ प्रदान किए जाने की घोषणा लंदन में की गई। इस अवसर पर गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और अशोक महेश्वरी लंदन में मौजूद थे। पुरस्कार दिये जाने की घोषणा पर
गीतांजलि श्री ने कहा, मेरे लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित है लेकिन अच्छा है। मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूँ। यह बहुत बड़े स्तर की मान्यता है जिसको पाकर मैं विस्मित हूँ. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ। मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने रेत- समाधि को चुना। इसके पुरस्कृत होने में एक उदास संतुष्टि है। रेत-समाधि इस दुनिया की प्रशस्ति है जिसमें हम रहते हैं, एक विहँसती स्तुति जो आसन्न कयामत के सामने उम्मीद बनाए रखती है। बुकर पुरस्कार दिये जाने की घोषणा पर

गीतांजलि श्री ने कहा, मेरे लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित है लेकिन अच्छा है। मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूँ। यह बहुत बड़े स्तर की मान्यता है जिसको पाकर मैं विस्मित हूँ. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ। मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने रेत- समाधि को चुना। इसके पुरस्कृत होने में एक उदास संतुष्टि है। रेत-समाधि इस दुनिया की प्रशस्ति है जिसमें हम रहते हैं, एक विहँसती स्तुति जो आसन्न कयामत के सामने उम्मीद बनाए रखती है। बुकर निश्चित रूप से इस उपन्यास को कई और लोगों तक ले जाएगा, जिन तक अन्यथा यह नहीं पहुँच पाता।

उन्होंने कहा, जब से यह किताब बुकर की लांग लिस्ट आई तब से हिंदी के बारे में पहली बारे में बहुत कुछ लिखा गया। मुझे अच्छा लगा कि मैं इसकामाध्यम बनी लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूँ कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं की अत्यंत समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। इन भाषाओं के बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर विश्व साहित्य समृद्ध होगा। इस तरह के परिचय से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी। गीतांजलि श्री ने अपने मूल प्रकाशक अशोक महेश्वरी, अनुवादक डेजी रॉकवेल और अंग्रेजी प्रकाशक का भी आभार प्रकट किया.

 इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा कि ‘रेत-समाधि’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ दिया जाना हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के लिए विशिष्ट उपलब्धि है। इससे स्पष्ट हो गया है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का उत्कृष्ट लेखन दुनिया का ध्यान तेजी से आकर्षित कर रहा है। उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ अंग्रेजी में प्रकाशित (मूल या अनूदित) कृति को ही दिया जाता है। ‘रेत-समाधि’ हिन्दी उपन्यास है, जिसके डेजी रॉकवेल द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ प्रदान किया गया है। मूल उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।

अशोक महेश्वरी ने कहा, यह हमारे लिए और समूचे भारतीय साहित्य-जगत के लिए बेहद खुशी की बात है कि एक हिन्दी उपन्यास को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ प्रदान किया गया। यह पुरस्कार ‘रेत-समाधि’ के मशहूर अनुवादक डेजी रॉकवेल द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद के माध्यम से हिन्दी तक पहुँचा है। लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि ‘रेत-समाधि’ ने हिन्दी से बाहर वैश्विक स्तर पर पाठकों, लेखकों और प्रकाशकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

उन्होंने कहा, ‘रेत-समाधि’ ने इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ की लांग लिस्ट में शामिल होकर अपनी क्षमता पहले ही साबित कर दी थी। फिर यह शार्ट लिस्ट में पहुँचा जिससे इसकी क्षमता और पुष्ट हुई। अब इसने वह पुरस्कार हासिल कर लिया है तो इस निर्णय को मैं इसी रूप में देखता हूँ कि हिन्दी समेत भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट लेखन की तरफ दुनिया का ध्यान तेजी से जा रहा है। राजकमल प्रकाशन के लिए यह निजी खुशी का अवसर भी है, क्योंकि उसके द्वारा प्रकाशित एक कृति के अनुवाद को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ समिति ने पुरस्कृत किया है। हम गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और समूचे साहित्य-जगत को बधाई देते हैं।

० संवाददाता द्वारा ० 

कोलकाता : जॉनसन एंड जॉनसन प्राइवेट लिमिटेड की कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन विजन इंडिया ने हाल ही में अपना नया कैंपेन #DekhteRehJaoge शुरू किया। कैंपेन एकदम अलग है क्योंकि इसमें वास्तव में ACUVUE® लेंस इस्तेमाल करने वालों को लिया गया है। वे बताते हैं कि इन लेंस का इस्तेमाल कर कैसे वे बेधड़क होकर नई चुनौतियों से भिड़ जाते हैं और अपनी नजर को ही अपनी पहचान बना रहे हैं।

यह फिल्म ACUVUE® कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने वाले अलग-अलग लोगों की जिंदगी दिखाती है, जिसमें रचनात्मक आजादी की तलाश का उनका सफर दिखाया गया है। इससे युवा पीढ़ी और मिलेनियल दर्शकों को आगे बढ़ते रहने और कोशिश जारी रखने का हौसला मिलता है। इसमें दिखता है कि ACUVUE® कैसे उपभोक्ताओं को अपना असली व्यक्तित्व पहचानकर हिम्मतवर बनाना चाहता है। लोकप्रिय गीत ‘इन आंखों की मस्ती’ का नए और अनूठे ढंग से किया गया इस्तेमाल इस फिल्म को सम्मोहक बनाता है और इसके संदेश को बेहतरीन बैकग्राउंड भी देता है। ACUVUE® कॉन्टैक्ट लेंस साफ नजर प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं, जो आराम भी देते हैं तथा दबकर रहने के बजाय बाहर जाकर हद से गुजर जाने का हौसला भी देते हैं।

जॉनसन एंड जॉनसन विजन में विजन केयर इंडिया के बिजनेस यूनिट डायरेक्टर टाइनी सेनगुप्ता इस पेशकश के बारे में कहते हैं, “जॉनसन एंड जॉनसन विजन में हमारा उद्देश्य भारत के युवाओं को कॉन्टैक्ट लेंस के जरिये दुनिया को देखने का हिम्मत भरा नया नजरिया देना है, जो उनकी शख्सियत के हरेक पहलू को पूरा बनाता है। यह देखकर हमें खुशी होती है कि ये लेंस हमारे उपभोक्ताओं की जिंदगी के हिस्से बन गए हैं और कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल से जुड़े भ्रम तथा हिचक दूर कर रहे हैं। ACUVUE® दुनिया भर में कॉन्टैक्ट लेंस का सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड है* और इस कैंपेन के जरिये हम अधिक से अधिक लोगों को हिम्मत के साथ दुनिया का सामना करने के लिए उत्साहित करना चाहते हैं। भारत में अब भी कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल काफी कम है। हमारा मकसद है कि अधिक से अधिक लोग हमारे लेंस आजमाएं, उन्हें पहनने में होने वाली आसानी तथा आराम को समझें और उनसे मिलने वाले आत्मविश्वास के आदी बन जाएं! हमारा लक्ष्य भारत में कॉन्टैक्ट लेंस की पैठ बढ़ाना और इस श्रेणी में नए यूजर लाना तथा साथ में आंखों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।”

आंखों की नियमित जांच की अहमियत समझाते हुए जॉनसन एंड जॉनसन विजन में विजन केयर इंडिया के नेत्र विशेषज्ञ तथा कंसल्टेंट – प्रोफेशनल एजूकेशन एंड डेवलपमेंट अशोक पांडियन कहते हैं, “आंखें सेहतमंद बनी रहें, इसके लिए आंखों के विशेषज्ञ के पास जाकर नियमित रूप से आंखों की जांच कराना जरूरी है। आजकल यह ज्यादा जरूरी है क्योंकि वर्क फ्रॉम होम के दौर में स्क्रीन देखते रहने का हमारा समय काफी बढ़ गया है। ध्यान रहे कि कॉन्टैक्ट लेंस से नजर तो बेहतर होती ही है, व्यक्तित्व भी बेहतर दिखता है। इससे काम, आराम और खेलों के साथ जीवन का हरेक पहलू बेहतर हो सकता है। साथ में आत्मविश्वास तो बढ़ता ही है। इसके अलावा कॉन्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल के बारे में कई भ्रम हैं। इसलिए यदि आप इन लेंस को आजमाने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले आपको आंखों के विशेषज्ञ से मिलना चाहिए, जो आपको बता सकते हैं कि आपकी आंखों और आपकी जीवनशैली के हिसाब से सबसे सटीक कॉन्टैक्ट लेंस कौन से हैं।”

० संत कुमार गोस्वामी ० 

पटना -Teen Taregan के बैनर तले बनने जा रही शॉर्ट फिल्म "औलाद" एक बेहद ही मार्मिक कहानी है जो एक सत्य घटना पर आधारित है। ऐसा कहा जा रहा है कि जिसने भी इस फिल्म की स्क्रिप्ट को पढ़ी उनकी आँखे नम हो गयी और ये हकीजायोंकि इसमें एक माँ-बाप के बुढ़ापे में अपने औलाद के ऊपर लगाए गए आशा और एक औलाद के विक्षिप्त मांसिकता को इतने मार्मिक ढंग से लिखा गया है की हर पाठक को दिल को छूता है। पिछले हफ्ते होटल हैवन ग्रैंड में ऑडीशन कर कलाकारों का चयन किया गया । इस फिल्म के डायरेक्टर प्रेम कश्यप ने बताया की यह फिल्म समाज के झूठे दंभ को उजागर करेगी और हर दिल को भावुक हो जाने पर मजबूर करेगी जो बहुत जल्द आपलोगों के बीच आने वाली है

 जबकि राइटर मल्लिक मुस्तफा ने कहा की यह फिल्म देखने के बाद जो औलाद अपने जिंदगी में माँ बाप को अहमियत नहीं देते वो औलाद अपने माँ बाप के प्रति पूर्णतः समर्पित हो जायेगा। इस फिल्म के प्रोड्यूसर रोहित के. रॉय है और लेखक मल्लिक मुस्तफा ने बेहतरीन तरीके से दर्शको के ध्यान रखते हुवे कहानी लिखे दर्शको में काफी चर्चित रहेगी फ़िल्म औलाद, इस फ़िल्म के निर्माण में इन आर्टिस्ट का काफी सराहनीय कदम है इस फ़िल्म में मां बाप बेटा की रिश्तों को कैसे निभाया जाता है यह फ़िल्म देखने के बाद समाज में बयाप्त रिस्तो में जो कुरीतिया है इसको दूर करने में मदद गार साबित होगी । इस शॉर्ट फिल्म औलाद में काम करने वाले कलाकारों की आदाएगी देखने को मिलेगी।

छायांकन और संपादक प्रेम कश्यप जी है, प्रोडक्शन कंट्रोलर का जिम्मेवारी टीटीएफ के टीम को है तो वही पोस्ट प्रोडक्शन बायोस्कोपवाला और ध्वनि - तरंग स्टूडियो से किया जाना है इस फिल्म के मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध कलाकार देवेंद्र कुमार, रूपा सिंह और मल्लिक मुस्तफा के साथ - साथ अवनीश महादेवन, अंबिका सोनी, शहज़ाद निज़ामी, संजीव ठाकुर, नवीन कुमार सिंह, प्रभात शाही, दानिश आज़ाद और मुन्ना राउत आदि है। बहुत जल्द इस फिल्म की शूटिंग मुज़फ्फरपुर के कई जगहों पर सम्पन्न होने वाली है ।

इससे पहले इसी बैनर तले कई हिट शॉर्ट फिल्म रिलीज हो चुकी है जैसे "लत द एडीक्शन", "हौन्टेड नाइट", "भ्रम", "माय ड्रीम डेट" आदि। इन फिल्मों की खास बात ये है की ये सिंगल कैरेक्टर मूवी है जो यू ट्यूब चैनल Teen Taregan films पर देखने को मिल जायेगा। इस चैनल के ओनर मलिक मुस्तफा ने दर्शको से कहा फ़िल्म जरूर देखें ।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली। भारत विविधिता में एकता वाला देश है, देश-विदेश में पलायन ने हिंदी का विस्तार किया है। लेकिन हिंदी के साथ –साथ हमें देश की अन्य आंचलिक भाषाओँ को भी साथ लेकर चलना होगा। आंचलिक भाषाओँ के बिना हिंदी का उत्थान नही होगा, अतः यह हमारा दायित्व बनता है कि देश की तमाम भाषाओँ को साथ लेकर चलें। ये बातें सामने आयीं एम्बेसडर होटल में रमा थिएटर नाट्य विद्या संस्था (रतनव) द्वारा आयोजित ‘एक शाम हिंदी के नाम’ कार्यक्रम में।
दो सत्रों में विभाजित इस कार्यक्रम के पहले सत्र में पुरस्कृत उपन्यास मैकलुस्कीगंज के लेखक विकास कुमार झा प्रमुख वक्ता के रूप में मौजूद थे और उन्होंने अपनी इस बहुचर्चित किताब पर विचार रखे. दुसरे सत्र जो देश के आंचलिक साहित्य पर केन्द्रित था इसमें प्रमुख वक्ताओं ने भोजपुरी,मैथली ,अवधि, बुन्देलखंडी, मुलतानी आंचलिक भाषाओँ में काव्य पाठ कर शाम को काव्यमयी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक डॉ मैत्रेयी पुष्पा ने की,अन्य मेहमानों में वरिष्ठ लेखक नासिरा शर्मा, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, अलिंद महेश्वरी भी मौजदू रहे। रमा थिएटर नाट्य विद्या संस्था (रतनव) भारत की पारंपरिक वाचिक कला के संरक्षण के लिए एक संस्था है,यह कलाकारों की आजीविका के लिए काम करता है,और थिएटर प्रदर्शन के माध्यम से उनकी कला को बढ़ावा देता है।

रमा पांडेय,रमा थिएटर नाट्यविद्या (रतनव) की सीईओ ने इस अवसर पर कहा  यह कार्यक्रम जिसे हमने नाम दिया है ‘एक शाम हिंदी के नाम’ यह एक मुहीम और सलाम है आंचलिक जीवन और आंचलिक भाषाओँ को। वर्तमान में जब मातृभाषा और राष्ट्रभाषा पर बहस छिड़ी है इस दौर में यह इस तरह का पहला कार्यक्रम है जिसमें हमने कोशिश की है कि एक भाव और सम्मान पैदा हो देश के अन्य आंचलिक भाषाओँ के लिए जो हज़ारों साल पुरानी हैं। हिंदीभाषी होने के बावजूद एक लेखक होने के नाते मैं इस भावात्मक गहराईयों को अच्छी तरह समझती हूँ। हिंदी को अगर सहज करना है तो हिंदी लेखकों को आंचलिक जीवन पर लिखना चाहिए। एक साथ जुडाव होगा तो किसी भाषा के साथ कोई टकराव नही होगा।

पहले सत्र में उपन्यास मैकलुस्कीगंज के लेखक विकास कुमार झा ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया.उन्होंने कहा कि यह हम सब का दायित्व है कि हम हिंदी के साथ –साथ आंचलिक भाषाओँ को भी साथ लेके चलें और इनके बारे में जाने। आंचलिक भाषाओँ के बिना हिंदी का उत्थान नही होगा तो यह हमारा दायित्व बनता है की देश की तमाम भाषाओँ को साथ लेकर चलें। उन्होंने आगे किताब के बारे में बात करते हुए कहा ‘मैकलुस्कीगंज को बसे आज कई दशक बीत रहे हैं यह एक जागी आँखों का एक सुन्दर सपना था लेकिन बदलते वक्त के साथ आज ये सुन्दर सपना रह-रहकर मुदं रही हैं झपक रही हैं, यह एक अफ़सोस की बात है। इस गावं को बचाने के लिए और एंग्लो इंडियन समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए इस गावं जिन्दा रखना बहुत जरूरी है.कल यह मैकलुस्कीगंज अपने अस्तित्व में रहे न रहे लेकिन उसकी कहानी हमेशा कहता रहेगा’।

वरिष्ठ लेखक नासिरा शर्मा ने कहा “विकास कुमार झा रचित मैकलुस्कीगंज उपन्यास दुनिया के एकमात्र एंग्लो इंडियन गावं की एक अद्भुत कथा है। लेखक विकास कुमार झा के पास विषयों की कमी नही थी लेकिन उनकी नजर वहां पहुची जो उन्हें विश्व स्तर के उन उपन्यासकारों और फिल्ममेंकरों की पंक्ति में लाकर खड़ी करती है जिन्होंने ऐसे विरल विषयों को अपनी लेखनी में चुना” । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वरिष्ठ लेखक डॉ मैत्रेयी पुष्पा ने कहा ‘रमा थिएटर नाट्य विद्या (रतनव) द्वारा भारत की पारंपरिक वाचिक कला के संरक्षण के लिए जो इस तरह के कार्यक्रम किये जा रहे हैं यह काबिलेतारीफ हैं और मै आभारी हूँ की मुझे इस तरह की मुहीम का अध्यक्षता करने का अवसर मिला।

दुसरे सत्र में देश की विविध रूपी आंचलिक भाषाओँ का संगम एक मंच पर दिखा .इस सत्र में अवधि,भोजपुरी,हरियाणवी,ब्रज,मुलतानी आंचलिक भाषाओँ के कवियों में प्रोफ़ेसर सुषमा शेरावत ने आंचलिक साहित्य में फनीश्वरनाथ रेणु के मैला आँचल को मील का पत्थर बताया। प्रोफ़ेसर चंद्रादेवी यादव ने कहा कि भोजपुरी लोकसाहित्य काफी विस्तृत है। राकेश पांडेय ने अवधि में काव्य रस बिखेरा, डॉ.विभा नायक ने बुन्देलखंड के प्रमुख कवि ईसुरी के बारे बताया, रेणु शाहनवाज ने मुलतानी कविता पाठ किया और डॉ अलका सिन्हा ने फनीश्वरनाथ रेणु के बच्चपन की यादों को ताजा किया

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय 'आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022' एवं 'राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता' के अंतिम दिन प्रसिद्ध फिल्‍म निर्माता एवं निर्देशक तथा आईआईएमसी के पूर्व छात्र विवेक अग्निहोत्री ने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। अग्निहोत्री ने कहा कि फिल्मों में 'सत्य' के साथ 'तथ्य' की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन दोनों के मिलने से ही 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्म का निर्माण होता है। आईआईएमसी के नई दिल्ली कैंपस में आयोजित हुए इस फेस्टिवल की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' रखी गई थी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा बने।
आईआईएमसी के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए श्री अग्निहोत्री ने बताया कि मीडिया के विद्यार्थियों को चाहिए कि वे किसी को प्रभावित करने की कोशिश न करें, बल्कि खुद को अभिव्‍यक्‍त करना सीखें। हम केवल अपनी मानसिकता के कारण खुद को सीमित करते हैं, जबकि ईश्‍वर ने प्रत्‍येक इंसान को किसी न किसी प्रतिभा से नवाजा है। इसलिए हमेशा अपने नजरिये पर यकीन करना चाहिए और अपने दिल की आवाज सुननी चाहिए। यह मूलमंत्र मुझे आईआईएमसी से ही मिला है।

 अग्निहोत्री ने संस्थान के विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्‍होंने फिल्‍में बनाना 2005 से प्रारंभ कर दिया था और वे बॉलीवुड में बनने वाली फिल्‍मों के ढर्रे का अनुसरण कर सकते थे। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करना उनके लिए बेहद आसान होता, लेकिन उन फिल्‍मों से उन्‍हें संतुष्टि नहीं मिलती। श्री अग्निहोत्री ने बताया कि बरसों के कड़े परिश्रम और रिसर्च के बाद उन्होंने 'बुद्धा इन ट्रैफिक जाम', 'द ताशकंद फाइल्‍स' और 'द कश्‍मीर फाइल्‍स' जैसी फिल्‍में बनाईं। अपनी आने वाली फिल्‍मों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी एक फिल्‍म 2023 में आ रही है, जो मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धियों पर आधारित है और जिसे देखकर सभी को अपने देश के प्रति गर्व की अनुभूति होगी। इसके अलावा 2024 में उनकी फिल्‍म 'द दिल्‍ली फाइल्‍स' रिलीज होगी।

इससे पूर्व समापन समारोह को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री नीरजा शेखर ने कहा कि हमारी प्राचीन सभ्‍यता, महाकाव्‍यों और समृ‍द्ध लोक परंपरा के आधार पर हम बहुत गर्व के साथ यह बात कह सकते हैं कि भारत विश्‍व का ‘कंटेंट हब' है। उन्‍होंने कहा कि भारत में जिस प्रकार की कहानियां मिलती हैं उनमें बहुत विविधता है और हमारे पास ढेरों ऐसी कहानियां हैं, जिसे दुनिया ने कभी नहीं सुना। सुश्री शेखर ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई फिल्‍मों का उन्‍हें इंतजार रहेगा और उम्‍मीद है कि उनका कहीं न कहीं उपयोग संभव हो सकेगा। उन्‍होंने पुरस्‍कार विजेता फिल्‍मों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव एवं अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्‍म महोत्‍सव से जुड़ने और उपलब्‍ध अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास करें।

इस अवसर पर 'राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता' के विजेताओं को भी सम्‍मानित किया गया। प्रथम पुरस्‍कार करम सिटी कॉलेज की ‘सेरेंगसिया 1837 लॉस्‍ट इन द वैली’, दूसरा पुरस्‍कार ‘कासाद्रु : हाइलाइट्स द प्‍लाइट ऑफ मैनुअल स्‍कावेंजर्स’, लोएला कॉलेज और तीसरा पुरस्‍कार ‘डिकेड ऑफ डस्‍क : रेजिज सीरियस इश्‍यूज ऑफ मेलन्‍यूट्रिशन इन केरल’, आईआईएमसी दिल्‍ली ने जीता। क्रिटिक्‍स च्वाइस पुरस्‍कार ‘द स्कूल ऑफ नेचर’, आईआईएमसी अमरावती और ‘बुंदेली बिन्‍नु’, आईआईएमसी दिल्‍ली को प्रदान किया गया। फेस्टिवल के दौरान आयोजित क्विज के विजेताओं को भी इस दौरान पुरस्‍कृ‍त किया गया।

इस तीन दिवसीय फेस्टिवल में पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता-निर्माता आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा, सुप्रसिद्ध वन्यजीव फिल्म निर्माता एस. नल्लामुथु, कांस फिल्म फेस्टिवल में AngenieuxExcell Lens Promising Cinematographer अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी सुप्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर सुश्री मधुरा पालित और राजीव प्रकाश ने हिस्सा लिया फेस्टिवल के पहले दिन सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आई', सुश्री मधुरा पालित की फिल्म 'आतोर', राजीव प्रकाश की फिल्म 'वेद' के अलावा 'ड्रामा क्वींस', 'इन्वेस्टिंग लाइफ' और 'चारण अत्वा' जैसी फिल्में प्रदर्शित की गई। समारोह के दूसरे दिन एस. नल्लामुथु की फिल्म 'मछली',  अमित गोस्वामी की 'द लास्ट ट्राइब', आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा की 'खेजड़ी',  नकुल देव की 'बिफोर आई डाई' तथा 'एलिफेंट्स डू रिमेम्बर' जैसी फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय 'आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022' के दूसरे दिन पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर कहा कि अब दर्शक सिनेमा के पास नहीं जाता, बल्कि सिनेमा स्‍वयं दर्शक के पास आता है। अब कई ऐसे प्‍लेटफॉर्म हैं, जहां दर्शक घर बैठे सिनेमा का लुत्‍फ उठाते हैं। फेस्टिवल के दूसरे दिन अभिनेता-निर्माता आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा एवं सुप्रसिद्ध वन्यजीव फिल्म निर्माता एस. नल्लामुथु ने भी समारोह में हिस्सा लिया। फेस्टिवल की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' रखी गई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा हैं।
शर्मिला टैगोर ने कहा कि समय के साथ न केवल फिल्‍मों के प्रचार-प्रसार और वितरण का कार्य ज्‍यादा व्‍यवस्थित हुआ है, बल्कि फिल्‍म निर्माण से जुड़े हर कार्य में बदलाव आ चुका है। यह पूरी तरह व्‍यावसायिक और ‘गुड प्‍लेस टू वर्क’ बन चुका है। उन्‍होंने कहा कि सिनेमा में महिलाओं की भागीदारी आज बहुत बढ़ चुकी है। वे कैमरे के सामने अपने अभिनय का कौशल दिखाने के साथ-साथ कैमरे के पीछे निर्देशन, सिनेमेटोग्राफर, कोरियोग्राफर, टेक्‍नीशियन आदि जैसी भूमिकाएं भी बखूबी निभा रही हैं। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं से जुड़े मिथक भी टूट रहे हैं। आजकल मां बेटी को केवल यही नहीं कहती कि ‘खूबसूरत दिख रही हो’, बल्कि ‘स्‍मार्ट और कॉन्फिडेंट दिख रही हो’ भी बोलने लगी हैं।

अपने अभिनय के शुरुआती दिनों की यादें साझा करते हुए उन्‍होंने कहा कि महज 13 साल की उम्र से ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। टैगोर ने बताया कि उनके परिवार में फिल्‍मों में काम करना तो दूर, फिल्‍म देखने तक की अनुमति नहीं थी। सबसे पहले सत्‍यजीत रे ने उन्‍हें फिल्‍मों में काम करने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि यदि रे के स्‍थान पर किसी और ने यह पेशकश की होती, तो उन्‍हें फिल्‍म में काम करने की इजाजत हरगिज नहीं मिलती।

 शर्मिला टैगोर ने बताया कि उन्‍होंने क्षेत्रीय सिनेमा से बॉलीवुड में कदम रखा था। यह पूछे जाने पर कि इसके लिए उन्‍हें क्‍या किसी परेशानी का सामना करना पड़ा, उन्‍होंने बताया कि उन्‍हें गानों की लिप सिंकिंग में परेशानी होती थी। शर्मिला ने बताया कि शुरू-शुरू में बंगाली फिल्‍मों से हिंदी फिल्‍मों में आने के कारण उन्‍हें विरोध का सामना भी करना पड़ा। हालांकि बॉलीवुड में कदम रखने के बाद भी उन्‍होंने अपनी जड़ों को कभी नहीं भुलाया और बीच-बीच में बंगाली फिल्‍मों में भी काम करती रहीं। साठ के दशक की फिल्‍मों में राजेश खन्‍ना के साथ उनकी हिट जोड़ी के बारे में उन्‍होंने कहा कि उन दिनों हेमा मालिनी–धर्मेंद्र और सायरा बानो–राजेंद्र कुमार जैसी जोड़ियां मशहूर थीं। लोग उनकी कैमिस्‍ट्री को देखना पसंद करते थे।

समारोह के दूसरे दिन एस. नल्लामुथु की फिल्‍म 'मछली', अमित गोस्‍वामी की 'द लास्‍ट ट्राइब', आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा की 'खेजड़ी', नकुल देव की 'बिफोर आई डाई' तथा 'एलिफेंट्स डू रिमेम्‍बर' जैसी फिल्‍मों की स्‍क्रीनिंग की गई। फेस्टिवल के अंतिम दिन 6 मई को प्रसिद्ध फिल्‍म निर्माता एवं निर्देशक तथा आईआईएमसी के पूर्व छात्र श्री विवेक अग्निहोत्री समारोह में शामिल होंगे एवं विद्यार्थियों से संवाद करेंगे।

० संवाददाता द्वारा ० 

नई दिल्ली : बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय करेक्टर छोटा-भीम अब गेमिंग प्लेटफॉर्म- जियोगेम्स पर उपलब्ध होगा। छोटा-भीम गेम्स को बच्चों और गेमिंग के शौकिनों तक पहुंचाने के लिए जियोगेम्स और ग्रीन गोल्ड एनिमेशन प्रा. लिमिटेड ने हाथ मिलाया है। इन गर्मियों से छोटा भीम गेम को एंड्रॉइड स्मार्टफोन और जियो सेट-टॉप बॉक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर मौजूद जियोगेम्स ऐप के जरिए खेला जा सकेगा।

भारत में लंबे समय तक चलने वाला एनिमेटेड शो, छोटा भीम एक दशक से अधिक समय से भारतीय बच्चों के जीवन का गुदगुदाता रहा है। स्क्रीन पर, सोने के दिल वाला धोती पहने बच्चा भीम, अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता और लोगों की मदद करता नजर आता है। बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बने, इस करेक्टर के मनोरंजक गेम्स को अब जियोगेम्स पर खेला जा सकेगा। छोटा भीम गेम्स निश्चित तौर पर बच्चों की छुट्टियों को और भी मजेदार बना देंगे।

ग्रीन गोल्ड एनिमेशन के मुख्य रणनीति अधिकारी श्रीनिवास चिलाकलापुडी ने इस मौके पर कहा कि “हम जियोगेम्स के साथ जुड़ने पर बेहद उत्साहित हैं। जियोगेम्स सभी तरह के मोबाइल और उपकरणों पर उपलब्ध है साथ ही उनका ईको सिस्टम भी बेहतरीन है। जो हमें एक सर्वश्रेष्ठ मंच देता है। यह हमारे प्रशंसकों को कई तरह के उपकरणों पर उनके पसंदीदा पात्रों जैसे “छोटा भीम” से जुड़ने में मदद करेगा। हम 5 हाइपर कैजुअल गेम्स के साथ इसे लॉन्च करेंगे और बहुत जल्द और भी बहुत कुछ जोड़ा जाएगा।“

भारतीयता के रंग में रगें एनीमेशन फिल्म बनाने में अग्रणी, ग्रीन गोल्ड एनिमेशन 15 वर्षों से युवा पीढ़ी का मनोरंजन करता आ रहा है। आज प्रमुख किड्स चैनल्स पर ग्रीन गोल्ड द्वारा निर्मित कार्यक्रमों को 10 करोड़ से अधिक बच्चे देखते हैं। ग्रीन गोल्ड एनिमेशन की फिल्मों और कार्यक्रमों को आज 190 से अधिक देशों में देखा जाता है।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली । आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय 'आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022' एवं 'राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता' का शुभारंभ करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि फिल्में समाज के सपनों के साथ संवाद करने वाला माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि फिल्‍मों में यह ताकत होती है कि लोग उन्‍हें देखने के लिए अपने घरों से निकलकर थिएटर जाते हैं। इसलिए फिल्‍मों को सराहा जाना भी बहुत आवश्‍यक होता है।
इस अवसर पर राष्‍ट्रीय नाट्य विद्या‍लय (एनएसडी) के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र गौड़, विख्‍यात रंगकर्मी एवं लेखिका श्रीमती मालविका जोशी, प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक एवं दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर श्री अनंत विजय एवं फिल्म फेस्टिवल की संयोजक प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र भी उपस्थित थीं। फेस्टिवल की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' रखी गई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा हैं।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि समाज को संबोधित करना, उसकी आकांक्षाओं और सपनों से जुड़ना और संवाद करना फिल्‍मकार के लिए बेहद जरूरी है। लेखक होना आसान काम है, लेकिन फिल्‍म निर्माण बहुत कठिन कार्य है, क्‍योंकि इसमें एक-एक दृश्‍य, एक-एक संवाद और एक-एक चरित्र पर काम होता है। विद्यार्थियों का उत्‍साहवर्धन करते हुए आईआईएमसी के महानिदेशक ने कहा कि आज मोबाइल फोन की बदौलत कोई भी लघु फिल्‍म बनाकर अपनी बात कह सकता है। फिल्‍में संचार का सबसे प्रभावशाली माध्‍यम हैं। इतना ताकतवर माध्‍यम न तो कोई देखा गया और न आने वाले समय में कोई होगा।

राष्‍ट्रीय नाट्य विद्या‍लय (एनएसडी) के निदेशक प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने कहा कि फिल्‍मों को संरक्षित करने और सहेजे जाने की आवश्‍यकता है, क्‍योंकि ठीक से संरक्षित नहीं करने के कारण 1940 के दशक की कई फिल्‍में आज नष्‍ट हो चुकी हैं। उन्‍होंने कहा कि हमने इन्‍हें संरक्षित करने में प्रौद्योगिकी का उपयोग करना नहीं सीखा। अनेक लोगों ने बहुत परिश्रम से बेहद रचनात्‍मक और गुणवत्ता के कार्य किए हैं, लेकिन उनके कार्य को संरक्षित करने की कोई नीति या प्रयास दिखाई नहीं देता। प्रो. गौड़ ने कहा कि फिल्‍में हमारे इतिहास, परंपरा और संस्‍कृति को संरक्षित करने तथा समकालीन दौर के समाज के प्रत्‍येक पहलू को प्रस्‍तुत करने का माध्‍यम होती हैं। ऐसे में फिल्‍में केवल मनोरंजन का ही माध्‍यम नहीं रह जातीं, बल्कि अकादमिक एवं अनुसंधान गतिविधियों का स्रोत भी बन जाती हैं। उन्‍होंने कहा कि फिल्‍मों के प्रचार-प्रसार की ही नहीं, बल्कि इस सारी सामग्री को डिजिटली आर्काइव करने की जरुरत है, ताकि इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

विख्‍यात रंगकर्मी श्रीमती मालविका जोशी ने कहा कि फिल्‍में अभिव्‍यक्ति का सशक्‍त माध्‍यम हैं। फिल्‍मों के माध्‍यम से जनजीवन के पास पहुंचना संभव है। उन्‍होंने कहा कि आज बहुत ही न्‍यूनतम संसाधनों के साथ भी फिल्‍में बनाई जा सकती हैं। इस अवसर पर कोविड काल के दौरान बनाई गई उनकी दो लघु फिल्‍में 'बिना आवाज की ताली' और 'शिउली' प्रदर्शित की गईं। समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्‍ठ पत्रकार श्री अनंत विजय ने कहा कि अभिव्‍यक्ति का सशक्‍त माध्‍यम होने के बावजूद फिल्‍मों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। उन्‍होंने कहा कि फिल्‍मों का प्रभाव इस बात से समझा जा सकता है कि 1950 में वी शांताराम की फिल्‍म 'दहेज' के प्रदर्शन के बाद बिहार में 'दहेज विरोधी कानून' पारित किया गया।

फिल्‍मों में काल विभाजन का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि आजादी से पहले बनी फिल्‍मों में भक्तिकाल और आजादी के बाद की फिल्‍मों में समाज सुधार का काल आया। उन्‍होंने कहा कि फिल्मों में सभी तरह के दृष्टिकोणों को दिखाया जाना चाहिए। किसी एक दृष्टिकोण या सोच को दिखाने से सामाजिक असंतुलन पैदा होता है। उन्‍होंने भारतीय जन संचार संस्‍थान में फिल्‍म सोसायटी बनाने का सुझाव भी दिया। समारोह के प्रथम दिन सत्‍यजीत रे की फिल्‍म 'द इनर आई', कांस फिल्म फेस्टिवल में AngenieuxExcell Lens Promising Cinematographer अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी सुप्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर सुश्री मधुरा पालित की फिल्म 'आतोर', बड़े पैमाने पर सराही जा रही श्री राजीव प्रकाश की फिल्म 'वेद' के अलावा 'ड्रामा क्‍वींस', 'इन्‍वेस्टिंग लाइफ' और 'चारण अत्‍वा' जैसी फिल्में भी प्रदर्शित की गई। इस अवसर पर सुश्री मधुरा पालित एवं श्री राजीव प्रकाश ने विद्यार्थियों के साथ संवाद भी किया।

फेस्टिवल के दूसरे दिन 5 मई को पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता-निर्माता आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा एवं सुप्रसिद्ध वन्यजीव फिल्म निर्माता एस. नल्लामुथु समारोह में शामिल होंगे।


० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली । आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में 4 से 6 मई, 2022 तक तीन-दिवसीय 'आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल' एवं 'राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता' का आयोजन किया जाएगा। आईआईएमसी के नई दिल्ली कैंपस में आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल की थीम 'स्पिरिट ऑफ इंडिया' रखी गई है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा होंगे।

फिल्म फेस्टिवल के संरक्षक एवं आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि फेस्टिवल में पद्म भूषण से सम्मानित मशहूर फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगी। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं आईआईएमसी के पूर्व छात्र विवेक अग्निहोत्री आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध अदाकारा पल्लवी जोशी भी विद्यार्थियों से रूबरू होंगी। अभिनेता-निर्माता आशीष शर्मा और अर्चना टी. शर्मा अपनी फिल्म 'खेजरी' के साथ आयोजन में शिरकत करेंगे। सुप्रसिद्ध वन्यजीव फिल्म निर्माता एस. नल्लामुथु की फिल्म 'मछली' भी महोत्सव में दिखाई जाएगी। कांस फिल्म फेस्टिवल में AngenieuxExcell Lens Promising Cinematographer अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी सुप्रसिद्ध सिनेमैटोग्राफर मधुरा पालित भी समारोह में विद्यार्थियों से संवाद करेंगी। पालित की फिल्म 'आतोर' समारोह की शुरुआत में दिखाई जाएगी। बड़े पैमाने पर सराही जा रही राजीव प्रकाश की फिल्म 'वेद' की स्क्रीनिंग भी इस दौरान की जाएगी।

 महोत्सव के पहले दो दिन 4 एवं 5 मई को फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जबकि तीसरे दिन राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता के विजेताओं का नाम घोषित किया जाएगा एवं विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। इस तीन दिवसीय आयोजन के तहत विभिन्न तकनीकी एवं संवादपरक सत्र भी आयोजित किए जाएंगे, जहां विद्यार्थी अपने सवालों को फिल्म जगत की बड़ी हस्तियों के समक्ष रखकर उनके जवाब पा सकेंगे। फिल्म फेस्टिवल की संयोजक एवं अंग्रेजी पत्रकारिता विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र ने बताया कि राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता हेतु देशभर से प्रविष्टियां प्राप्त हो रही हैं। प्रतियोगिता के परिणाम समारोह के अंतिम दिन यानी 6 मई, 2022 को घोषित किए जाएंगे। प्रो. प्रणवेंद्र ने बताया कि फिल्म महोत्सव के प्रथम दो दिनों में 15 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। समारोह में फिल्म प्रभाग की 6 फिल्में भी दिखाई जाएंगी। फेस्टिवल के सह प्रायोजक 'द डैप्स किचन' हैं।

० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली - सोशल मीडिया ने मनोरंजन और आपस में लोगों को जोड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है, बल्कि दुनिया भर में रचनाकारों और प्रतिभाओं को भी सशक्त बनाता है, यदि ऐसा न होता तो क्‍या स्थिति होती? यदि कंटेंट और शोर का प्रसार करने के बजाय, सोशल मीडिया ने वंचित लोगों को गरीबी से बाहर निकाले तो कैसा लगेगा ? भारत में रोजगार के अवसर पैदा करने वाले शीर्ष 5 स्ट्रीमिंग एप्‍स (एप्लिकेशन):

अपलाइव (Uplive)

Uplive एक लाइव वीडियो सोशल प्लेटफॉर्म और दुनिया का सबसे बड़ा स्वतंत्र सोशल वीडियो ऍप है जो यूजर्स को अपने दर्शकों से लाइवस्ट्रीम करने और जुड़ने की सुविधा देता है। यह एक कार्य योजना पर काम करता है जिसमें आकर्षक कंटेंट और कम्‍युनिटी बनाने की प्रक्रिया आपस में निकटता से जुड़ी होती है। Uplive पर क्रिएटर्स हर महीने लाखों रुपये कमाते हैं और फैन्स वर्चुअल गिफ्ट्स और लाइक्स के माध्‍यम से भी इसमें योगदान करते हैं।

मेटा (Meta)

फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित मेटावर्स ब्रॉडकास्टरों (प्रसारणकर्ताओं) को किसी विषय, आयोजन, प्रश्नोत्तरी, या किसी भी अन्य विषय पर लाइव स्ट्रीमिंग करने की सुविधा प्रदान करती है। मूलत: इस एप्लिकेशन का उपयोग करते हुए यह दुनिया में कहीं से भी से, लाइव चर्चा की सुविधा देती है। लाइव स्ट्रीमिंग में डोनेट बटन और इन-स्ट्रीम प्रोमोशन जोड़ने से किसी भी उद्देश्य के लिए फंड जुटाने में मदद मिल सकती है और साथ ही लाइव रिकॉर्डिंग को करियर के रूप में अपनाया जा सकता है।

टि्वच (Twitch)

टि्वच का एक भुगतानयुक्‍त मेम्‍बरशिप प्रोग्राम है जो आपको एफिलिएट या पार्टनर बनने पर सशुल्क सदस्यता से खरीदारी करने की अनुमति देता है। आपके दर्शकों को टि्वच प्राइम के माध्यम से एक निःशुल्क मेम्‍बरशिप मिलती है, या वे पेपॉल, अमेज़न पे या वीज़ा का उपयोग करके उनके लिए भुगतान कर सकते हैं।

एलोएला (Eloela)

एलोएलो पर निर्माता अपनी लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से कमाते हैं जहां वे स्थानीय भारतीय खेलों का प्रसारण कर के अपने दर्शकों से जुड़ते हैं, जो उन्हें एलो सिक्कों के उत्पादन में सहायता करता है, जिसे वे वास्तविक धन में बदल सकते हैं। क्रिएटर्स को हर दिन अपनी स्ट्रीमिंग का स्तर बढ़ाना होगा और अपनी स्ट्रीम से आय पैदा करने के लिए धीरे-धीरे एक कम्‍युनिटी बनानी होगी। कोई भी शुरुआत में केवल अपने प्रशंसकों द्वारा भेजे गए वर्चुअल उपहारों के माध्यम से आसानी से 2000 रुपये या ज्‍़यादा कमा सकता है।

यू ट्यूब (You Tube)

YouTube की एक चैनल सदस्यता योजना है जो क्रिएटर्स को एक चैनल का मालिक बनने और अपने कंटेंट के लिये नियमित रूप से निर्धारित भुगतान करने की सुविधा देती है। YouTube पर अपना चैनल खोलने के लिए, आपको YouTube पार्टनर प्रोग्राम में शामिल होना होगा और कुछ अतिरिक्त आवश्यक शर्तें पूरी करनी होंगी। क्रिएटर अर्थव्यवस्था आत्म-अभिव्यक्ति का एक तरीका है और दुनिया भर में लाखों लोगों को कंटेंट से धन कमाने का एक अवसर प्रदान करती है। इन और कई अन्य एप्‍लीकेशन्‍स ने उस मूल्य को मान्यता दी है जिसे क्रिएटर्स को सशक्त बनाकर कम्‍युनिटीज़ में लाया जा सकता है और जो केवल एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहीं अधिक बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं। संगीत, नाटक, टीवी, फैशन और अन्य क्षेत्रों में अपने सपनों को पूरा करने के लिए अलग-अलग लोगों को सशक्त बनाकर, वे दुनिया भर के क्रिएटर्स के जीवन में बदलाव ला रहे हैं।

० योगेश भट्ट ०   
                         
उत्तर प्रदेश । ग्रेटर नोएडा स्थित जीएल बजाज इन्स्टीट्यूट आफ मैनेजमेण्ट एण्ड रिसर्च . पीजीडीएम इन्स्टीट्यूट ने छात्रों की प्रतिभाओं को निखारने एवं उन्हें एक सांस्कृतिक मंच प्रदान करने के अपने अभियान में गतवर्षों की भॉति इस वर्ष भी सांस्कृतिक एवं मैनेजमेण्ट महोत्सव ‘‘संकल्प2के22’’ का भव्य एवं सफल आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक एवं मैनेजमेण्ट प्रतियोगिता में दिल्ली एवं एनसीआर के शैक्षणिक संस्थानों के 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रतियोगिता में भागीदारिता की एवं अपनी कला का जौहर दिखाया।

संस्थान की निदेशिका डॉ0 सपना राकेश ने बताया कि संस्थान शुरू से ही प्रतिवर्ष संकल्प महोत्सव का आयोजन करता आया है, जिसका उद्देश्य छात्रों में आपसी मैत्रीभाव की भावना के विकास के साथ-साथ उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने एवं निखारने का मंच प्रदान करना है। संकल्प महोत्सव का मुख्य आकर्षण सेलिब्रिटी नाइट था जिसमें देश के प्रख्यात हास्य कलाकार श्री आकाश गुप्त ने अपने उत्कृष्ट हास्य प्रतिभा से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

इस महोत्सव की विभिन्न प्रतियोगिताओं में गायन, नृत्य (एकल एवं समूह), मैनेजमेण्ट क्विज, बिजनेस प्लान, ऐडमैड शो, स्टैण्डअप कमेडी, एक्सटेम्पोर, वाद-विवाद, टीशर्ट पेण्टिंग, बेस्ट आफ वेस्ट,ट्रेजर हण्ट, नुक्कड़ नाटक, रंगोली, आनलाइन गेमिंग के अतिरिक्त फैशन शो का आयोजन किया गया एवं विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान की निदेशिका डॉ0 सपना राकेश ने सभी प्रतिभागियों का इस महोत्सव में सम्मिलित होने के लिए आभार प्रकट किया एवं उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली -अमरास नाइट्स, एक मासिक कार्यक्रम श्रृंखला जिसका उद्देश्य देश के लोक संगीत और परम्परा को बढ़ावा देना है, एक बार फिर से दिल्ली के सुंदरी नर्सरी में ‘ महफ़िल-ए-तरनम’ के साथ दो साल के अंतराल के बाद फिर से लोक संगीत के साथ लौट रहा है। उत्तराखंड के युवा संगीतकारों का समूह ‘रहमत-ए-नुसरत’ और लखनऊ से अस्करी नकवी ‘तरनम’ के माध्यम से अवध और लखनऊ के संगीत का गुलदस्ता संगीत प्रेमियों के लिए पेश करेंगे।

यह कार्यक्रम अमरास रिकॉर्ड्स और अमरास सोसाइटी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा 2009 में अपनी स्थापना के बाद से दिल्ली भर के प्रतिष्ठित स्थानों पर आयोजित किया जाता रहा है। आशुतोष शर्मा सह-संस्थापक, अमरास रिकॉर्ड्स ने कहा, "2 साल के बाद अमरास नाइट का लाइव वापस आना हमारे और लोक संगीत प्रेमियों के उत्साहजनक है। यह एकबार फिर से संगीत प्रेमियों के लिए एक हसीन शाम होने वाली है”। कार्यक्रम - अमारस नाइट्स ‘ महफ़िल-ए-तरनम’ स्थान – सुन्दर नर्सरी, दिल्ली दिन – शनिवार,23 अप्रैल,2022, शाम 7 बजे से

० योगेश भट्ट ० 

हरियाणा -फरीदाबाद में दुष्यंत सहगल ने एक ही दिन में पांच शार्ट फिल्म रिलीज करके इंडिया बुक रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज किया! इन फिल्मों के नाम लीला, सफर, द कॉल ऑफ ड्यूटी, सुनी सड़क और नशा थी इन सभी फिल्मों की स्टोरी अलग अलग थी इनमें समाज की कई बुराइयों को भी दर्शाया गया और नशे से दूर रहने की सलाह भी दी गई

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के चीफ एडिटर विश्वरुप राय चौधरी ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। दुष्यंत सहगल ने बताया कि अभी तक किसी ने भी ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं बनाया है यह भारत में पहली बार हुआ है दुष्यंत सहगल ने उन सभी एक्टरों का भी एक्टरों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने यह फिल्म बनाने में उनका साथ दिया है यह सभी फिल्म जीरो बजट फिल्म थी दुष्यंत सहगल ने बताया कि यह तो अभी शुरूआत थी 

अभी दुष्यंत सहगल और भी कई नए प्रोजेक्ट लेकर आ रहे हैं और उनका प्रोडक्शन हाउस यूनिबॉक्स प्रोडक्शन और भी कई फिल्में रिलीज करने वाला है ऐसा रिकॉर्ड अभी किसी ने नहीं बनाया भारत के पहले डायरेक्टर और प्रड्यूसर दुष्यंत सहगल जिन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाकर यह साबित कर दिया है कि कोई भी काम मुश्किल नहीं होता बस करने का जज्बा होना चाहिए दुष्यंत सहगल जी को देश भर से बधाइयां आ रही है और उनके यह काम के लिए बधाइयां दी जा रही है दुष्यंत सहगल अभी वर्ल्ड रिकॉर्ड की तैयारी कर रहे हैं आने वाले दिनों में दुष्यंत सहगल के और भी कई प्रोजेक्ट और फिल्में हमें दिखाई देगी

० योगेश भट्ट ० 

पालमपुर - हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने सोनी टेलीविजन चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम ”कौन बनेगा करोड़पति“ में अपनी प्रतिभा का लोहा मनाने और अभिताभ बच्चन को भी अपनी हाजिर जवावी में सम्मोहित तथा निरूतर कर देने वाले हिमाचल प्रदेश के प्रतिभावान बेटे अरूणोदय शर्मा को अपने निवास पर सम्मानित किया। अरूणोदय शर्मा अपने माता पिता सहित शांता कुमार के यामिनी स्थित निवास पर शिष्टाचार भेंट करने आये।  शांता कुमार ने इस होनहार बाालक को शाल टोपी व कुछ पुस्तकें देकर सम्मानित किया और उनके उज्वल भविष्य की कामना की।

उन्होने कहा कि मात्र 9 वर्ष की आयु के नन्हें बालक ने अपनी अनूठी प्रतिभा से दर्शको को बहुत प्रभावित किया। इस कार्यक्रम के आयोजक स्वंय अभिताभ बच्चन भी इससे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने अपने बेटे के पालन पोषण में अहम भूमिका निभाने के लिए नन्हें बालक के साथ आये माता पिता को भी बधाई दी और उन्हें भी सम्मानित किया।


० योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली -  विज्ञान भवन में एक भव्य समारोह में देश के उपराष्ट्रपति  वैंकया नायडू  ने उत्तराखंड के सुर सम्राट गढ-रत्न  नरेन्द्र सिंह नेगी को लोक संगीत (उत्तरराखंड) के लिए, वरिष्ठ रंग समीक्षक दीवान सिंह बजेली को प्रर्दशन कला के क्षेत्र में विद्वत्ता के लिए भारत सरकार के प्रतिष्ठित संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार सम्मानित किया। साथ ही उत्तराखंड की कुसुम पाण्डे को राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के लिए ललित कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। उत्तराखंड की तीन विभूतियों को देश के प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित होने का साक्षी मुझे अपने अन्य साथी बृजमोहन उप्रेती , डॉ.विनोद बछेती , रंगकर्मी नरेंद्र पांथरी ,पूर्णिमा पोखरियाल व संजय नौडिया के साथ प्राप्त हुआ।

० संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर।सिने प्रेमियों के लिए खुशख़बरी है कि जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल [जिफ] अपने पंख पसारने की तैयारियां शुरू कर चुका है। 14 वर्षों से सफलतापूर्वक इतने बड़े पैमाने पर सिनेमा का संसार सजाने वाले जिफ के फाउंडर – डायरेक्टर हनु रोज़ ने बताया कि फेस्टिवल के कॉर्पोरेट अफेयर्स के प्रमुख के तौर पर अमिताभ जैन को नियुक्त किया गया है। आइनॉक्स, राजस्थान के पूर्व जनरल मैनेजर और क्लस्टर हैड रहे अमिताभऔर सिनेमा के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। 

वहीं जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के प्रवक्ता राजेन्द्र बोड़ा ने जानकारी दी कि डॉ. निवेदिता शर्मा को जिफ के एडिशनल स्पोक्सपर्सन [अति. प्रवक्ता] के पद पर नियुक्त किया गया है। डॉ. निवेदिता सिनेमा स्टडीज़ में शोध अध्ययन कर रही हैं, साथ ही कई पत्र – पत्रिकाओं के लिए निरन्तर लिखती रही हैं।
कोविड तथा लॉकडाउन के बाद अब वर्ल्ड्स लार्जेस्ट एन्ड मोस्ट सिक्योर फिल्म लाइब्रेरी और इंटरनेशनल सिनेमा सेंटर , 

जययर फिल्म मार्केट, जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल नए पैमाने गढ़ने को है। इसी सिलसिले में जिफ के फाउंडर – डायरेक्टर हनु रोज़ हाल ही में दक्षिण के कई राज्यों की यात्रा कर लौटे हैं। कई फिल्मकारों, निर्देशकों और विशेषज्ञों से मुलाकातों से ना सिर्फ फेस्टिवल का दायरा बढ़ेगा, बल्कि सिनेमा की दुनिया में कई नए और अनूठे प्रयोग भी होंगे।

० इरफ़ान राही ० 

नयी दिल्ली - पाखी फाउंडेशन की तरफ से अमलतास ऑडीटेरियम इंडियन हेबिटेट सेंटर में भारतीय शास्त्रीय संगीत का शानदार कार्यक्रम रखा गया जिसमें बड़े बड़े दिग्गज कलाकारों ने अपनी अपनी कला का प्रदर्शन किया जीनके नाम इस प्रकार हैं गायन उस्ताद अज़मत अली खान साहब उनकी संगत में तबले पर ज़ाकिर अख़्तर और हारमोनी पर उस्ताद करीम नियाज़ी, सितार वादन अदनान खान साहब तबले पर संगत रही फतेह सिंह नामधारी की, और तबला वादन शारीक़ मुस्तफ़ा और उनके साथ संगत में सारंगी पर अहसान अली जी रहे।
सभी कलाकारों ने एक से बढ़ कर एक प्रदर्शन किया। और ऐंकरिंग मोहम्मद अबरार जी ने की जिन्होंने अपना कार्य बहुत ही निपुणता के साथ संभाला और हमारे साथ पाखी फाउंडेशन की चेयरपर्सन पाखी अरोड़ा जी साथ रही और चीफ़ गेस्ट (IOHRCCP) दिल्ली अध्यक्ष एवं होटल क्लार्क हाईटस के MD अशोक त्रेहन जी, VVIP सयीद अहमद खान सितार मेस्ट्रो जिन्होंने सभी कलाकारों को ट्रॉफ़ी और फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। और VIP गेस्ट संध्या बजाज जी हमारे साथ रही। 

कार्यक्रम काफी सराहनीय रहा।मीडिया पार्टनर पी न्यूज़ से डॉ. नदीम अहमद ने पूरे प्रोग्राम को कवर किया । भारत मे शास्त्री संगीत खत्म होता जा रहा है ।इसको बढ़ावा देते हुए आज पाखी फाउंडेशन ने ये पहल की जो कि सराहनीय है । पाखी फाउंडेशन जल्द ही एक बहुत बड़ा शास्त्री संगीत को लेकर इवेंट करेगा ।जिसमे देश भर से उस्ताद आएंगे और अपनी कला दिखाएंगे। प्रोग्राम में बॉलीवुड एक्टर जुनैद खान भी पहुँचे ।सभी ने इस पहल की तारीफ की ।ओर हम पाखी फाउंडेशन के उज्जवल भविष्य की कामना करते है।

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget